भारत का ये स्मार्ट गांव जो बिजली भी खुद बनाता है और बेचता भी है…

तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले के मेट्टपालयम तालुका में स्थित ओदंथुरई गांव भारत का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में सबसे अच्छे स्मार्ट गांवों में से एक है. ओदंथुरई अन्य भारतीय गाँवों की तरह ही था जिसका बुनियादी ढांचा कमजोर था, उचित शौचालयों की कमी थी, बिजली की कटौती होती थी, स्वच्छ पेयजल की कमी थी. बदलाव साल 1996 से शुरू हुआ जब आर. शनमुगम पंचायत अध्यक्ष बने. शनमुगम ने सुनिश्चित किया कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए धन का सही उपयोग ग्रामीण विकास के लिए किया जाए.
ऐसे बना स्मार्ट गांव
आर. शनमुगम का मुख्य लक्ष्य गांव की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे कंक्रीट के घर, स्वच्छ पानी, शौचालय, बिजली, सड़क इत्यादि को पूरा करना था. इन बुनियादी आवश्यकताओं पर काम करने के बाद शनमुगम के पास अभी भी पंचायत बचत में 40 लाख रुपये बचे हुए थे. उन्होंने बचे हुए धन का उपयोग करके पवनचक्की स्थापित करने पर विचार किया. पवनचक्की की लागत 1.5 करोड़ थी. शनमुगम ने बाकी रकम के लिए कर्ज लिया और पवनचक्की स्थापित की. 2017 में पूरा कर्ज चुकाया गया और अब गांव तमिलनाडु बिजली बोर्ड को बिजली बेच रहा है और मुनाफा कमा रहा है. यह गांव पूरी तरह से तमिलनाडू बिजली बोर्ड से स्वतंत्र है. यहां 25 फीसदी बिजली सौर पैनलों से आती है और बाकी पवनचक्की से.
आखिर क्यों कहा जाता है ओदंथुरई को स्मार्ट विलेज
यहां कोई भी बेघर नहीं है. सभी गांव वालों के पास अपना मकान है. ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों और कुछ आदिवासियों के लिए 850 घरों का निर्माण करवाया. इतना ही नहीं यह भारत का ऐसा पहला गांव बना जहां कोई भी खुले में शौच नहीं करता है. यहां हर घर में शौचालय है. साथ ही टैक्स देने मे भी गांव वाले पीछे नहीं हैं.
योजनाओं का सही से लागू होना
यहां ग्राम पंचायत पूरी ईमानदारी से सरकारी योजनाओं को लागू करता है. व्यक्तिगत विकास योजना, हर घर को मेवशियों के साथ प्रदान किया जाता है ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके. दूध बेचने के लिए ग्राम पंचायत ने दूध विभाग एवन के साथ टाई-अप भी किया है. अगर बात करे शुद्ध पानी की तो साल 1999 में गांव में जल उपचार संयंत्र की स्थापना की गई, जिससे हर गांववालों को शुद्ध पेयजल निर्बाध रूप से आपूर्ति होती है.
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नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
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