कैसे बर्बाद होकर फिर से उठी Nestle Maggi?

2 मिनट में तैयार हो जाने वाली मैगी घर के किचन की जरुरत कब बन गई किसी को पता भी नहीं चला। नेस्ले ने बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 1997 में मैगी नूडल्स को बनाने वाले फार्मूले में बदलाव कर दिया लेकिन उपभोक्ताओं ने बदलाव नकार दिया।
यूं तो मैगी बहुतों की पसंद है लेकिन इसका कड़वा सच जानने के बाद अगर आप इसे अभी तक खा रहे हैं तो खाना छोड़ सकते हैं। मैगी में मोनोसोडियम ग्लूमेट (Monosodium glutamate) मिला होता है जो आपके शरीर में खुद बन सकता है। इसे MSG भी कहा जाता है।
लेकिन जो MSG हमारे घर में मैगी की शक्ल में है वो आपके शरीर में कई विकृतियां पैदा कर सकता है जिसमें स्कीन प्रॉब्लम, खुजलाहट, उल्टी, अस्थमा और कई अन्य हृदय संबंधी रोग हो सकते हैं।मैगी के लिए उपयोग में लायी जाने वाली MSG चुकन्दर से बनती है।
कई राज्यों में शिकायत मिलने के बाद मैगी पर बैन लगा दिया गया था. शिकायत में कहा गया था कि मैगी के साथ मिलने वाले मसाले में सीसा की मात्रा ज्यादा है जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. नेस्ले इंडिया के CMD सुरेश नारायण ने ट्विटर पर लिखा- ‘ग्राहकों को मैगी सौंपते हुए मुझे खुशी हो रही है, जिनसे इसका खास जुड़ाव है.’स्नैपडील से हुआ करारकंपनी ने मैगी की बिक्री के लिए ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट स्नैपडील से करार किया है.
नेस्ले इंडिया ने बताया कि मैगी फिलहाल उन राज्यों में उपलब्ध नहीं होगी, जहां इस पर अभी भी बैन लगा है. मैगी को बॉम्बे हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिली थी.बीते 16 अक्टूबर को नेस्ले ने बताया था कि देश की तीन लैबों में टेस्ट के लिए भेजे गए सैंपल पास होने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मैगी को हरी झंडी दे दी है. टेस्ट के लिए मैगी के लिए 90 सैंपल यहां भेजे गए थे.
नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. timepass अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]