ये 60s की सबसे पॉपुलर कार आजकल कहां गायब हो गई है ?

1960 का दशक कुछ ऐसा था, जब सड़कों पर एक क्लासिक और तेज रफ़्तार कार चला करती थी. उस कार को देखते ही हर किसी की नजर उसपर ही टिक जाती थी. उसके इंजन की दमदार आवाज़ हर किसी को अपने आने की खबर दे देती थी.

ये कार कोई मामूली कार नहीं थी बल्कि ये तो थी क्लासिक इम्पाला कार. वही कार जिसने कार चलाने वालों को बताया क्या होता है कूल होना.

कभी सड़कों पर राज करने वाली ये इम्पाला आज वक्त की धूल में खो गई है… तो चलिए बीते वक्त के पन्नों को पलटकर एक बार फिर जानते हैं इम्पाला के रोचक सफर के बारे में–

फोर्ड को टक्कर देने के लिए बनाई इम्पाला…

वो साल था 1958 का और कार कंपनियों में बहुत कड़ा मुकाबला चल रहा था. इस मुकाबले में फोर्ड कंपनी ने बाजी मारी हुई थी. उनकी कार लोगों को बहुत पसंद आ रही थी.

वहीं दूसरी ओर शेवरले फोर्ड से पीछे होती जा रही थी. कंपनी कुछ ऐसा करना चाहती थी जिससे वह फोर्ड से आगे निकल सके. इसलिए उन्होंने एक बिलकुल ही नई तरह की कार बनाने का फैसला किया.

इस एक फैसले के बाद शेवरले के सभी ऑटोमोबाइल इंजिनियर एक बिलकुल ही नई कार बनाने में लग गए. इतना ही नहीं कुछ वक्त में उन्होंने वह कार बना भी दी.

जब सब ने वह कार देखी, तो सबसे पहले उसके डिज़ाइन को देखकर हर कोई हैरान हो गया! दो दरवाज़े वाली ये कन्वर्टेबल कार मार्किट में मौजूद बाकी कारों से बहुत ही अलग थी.

इसके जैसा क्लासिक और स्टाइलिश डिज़ाइन पहले किसी ने नहीं देखा था. डिज़ाइन के मामले में तो इसे पास कर दिया था मगर अब बारी थी इसकी परफॉरमेंस चेक करने की.

पेट्रोल इंजन के साथ 136 हॉर्सपावर वाली ये दमदार कार थी. इसे न सिर्फ लुक बल्कि तेज रफ्तार ड्राइविंग के लिए भी बनाया गया था. भारी डिज़ाइन होने के बाद भी ये 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार पकड़ने में सक्षम थी.

इतना ही नहीं 0-60 मील प्रति घंटा की रफ़्तार ये सिर्फ 14 सेकंड में पकड़ सकती थी. इसकी परफॉरमेंस देखने के बाद तो हर कोई चौंक गया.

हर किसी को एहसास हो चुका था कि उन्होंने एक कमाल की गाड़ी बना दी है. हालांकि, इस कार का नाम क्या रखा जाए यह अभी सोचा जाना बाकी था.

इसके डिज़ाइन और रफ़्तार को ध्यान में रखते हुए एक नाम सोचा जाना था. इसलिए इसे अफ्रीका की एक हिरण प्रजाति का नाम दिया गया, जिन्हें इम्पाला कहा जाता है.

कहते हैं कि वह हिरण भी इम्पाला कार की तरह ही बहुत सुंदर है और तेजी से दौड़ता है. इसलिए उसका नाम इस कार के लिए सबसे बढ़िया था.

इसके बाद शेवरले ने 1958 में ही अपनी इम्पाला कार को लांच कर दिया. इतना ही नहीं इसका शुरुआती दाम रखा गया 2500 डॉलर. इसके बाद शुरुआत हुई एक एक ऐसे दौर की जिसने कार की पूरी दुनिया ही बदल दी.

राजेश खन्ना की पसंदीदा सवारी

1958 में जैसे ही इम्पाला मार्किट में आई इ

सने धूम मचा दी. बहुत कम वक्त में ये के स्टेटस सिंबल बन गई. हर कोई इसे खरीदना चाहता था. सड़क से गुज़रती इम्पाला को देखकर हर किसी की आँखें बस उसपर ही टिक जाया करती थी.

देखते ही देखते इम्पाला विदेशों में प्रसिद्ध हो गई और भारत में भी लोग इसे खरीदने के लिए पागल हो गए. भारत में इसे असली प्रसिद्धी मिली, जब फिल्मों में सुपरस्टार राजेश खन्ना इसे चलाते हुए दिखाई दिए.

माना जाता है कि राजेश खन्ना को गाड़ियों का बहुत शौक था और उनके पास बहुत सारी महंगी गाडियाँ भी थीं. उन सब गाड़ियों में से उनकी असली पसंद थी शेवरले इम्पाला.

1960 के समय जब राजेश खन्ना फिल्मों के लिए स्ट्रगल करते थे उस समय भी वह अपनी इम्पाला में ही सफर किया करते थे.

इतना ही नहीं कहते हैं कि जब राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया एक दूसरे के प्यार में थे, तब डिंपल ने भी राजेश खन्ना को एक इम्पाला गिफ्ट की थी.

इसके बाद 1971 में आई राजेश खन्ना की फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ में, एक गाने के दौरान राजेश खन्ना की लाल इम्पाला दिखाई गई. जैसे ही भारत के लोगों ने इसे देख हर किसी के दिल में ऐसी एक इम्पाला खरीदने का ख्याल आने लगा.

राजेश खन्ना ने बिना कुछ करे ही इम्पाला को भारत में भी प्रसिद्ध कर दिया. इसके बाद तो भारत की सड़कों पर भी यह चलती हुई नजर आने लगी.

हर साल बेची गईं 1 मिलियन इम्पाला!

1958 में बनाई गई इम्पाला में सिर्फ दो दरवाज़े थे. 1965 तक इसे डिज़ाइन को ऐसे ही रहने दिया और 1965 में, जो इसका डिज़ाइन सामने आया उसने तो इसकी किस्मत ही बदल दी.

1965 में इम्पाला के दो दरवाज़े बदलकर उसे चार कर दिया गया और इसके डिज़ाइन में भी काफी बदलाव किए गए. इसके इंजन को भी बदलकर इसमें नया V8 इंजन लगाया गया जिसने इसकी परफॉरमेंस को और भी ज्यादा बढ़ा दिया.

इसके बाद, तो पूरी दुनिया में नए मॉडल वाली इम्पाला कार की डिमांड होने लगी. इतना ही नहीं कहते हैं कि शेवरले इसकी इतनी डिमांड देखने को मिली कि इसका प्रोडक्शन करना मुश्किल हो गया था.

आंकड़ों की मानें, तो 1965 वाले मॉडल के आने के बाद शेवरले हर साल करीब 1 मिलियन इम्पाला बनाने लगी थी. इतना ही नहीं यह सभी गाडियाँ कब बिक जाती थीं पता भी नहीं चलता था.

दुनिया के कई देशों से इम्पाला की डिमांड आने लगी थी. बाहर कार एक्सपोर्ट करने के लिए भी शेवरले को अपनी प्रोडक्शन यूनिट बढ़ानी पड़ गई थी…

आंकड़ों के हिसाब से 1965 के बाद से शेवरले ने करीब 7,46,800 V8 इम्पाला बेची थीं. यह दर्शाता है कि यह कार उस समय किस तरह से शिखर पर थी.

…और जब बंद हो गया प्रोडक्शन!

1965 के बाद शेवरले ने सीधा 1971 में ही इम्पाला का नया मॉडल निकाला. इस बार भी उन्होंने इसकी रफ़्तार पर ही ज्यादा ध्यान दिया था. नए मॉडल के साथ इम्पाला की रफ़्तार 365 हॉर्सपावर की हो गई थी.

1971 मॉडल में कार के इंजन को भी ज्यादा किफायती बनाया गया. इसका फायदा कंपनी को तब हुआ जब 1973 में ‘ऑइल क्राइसिस’ आया.

पूरी दुनिया में ईंधन की कमी हो गई थी. ऐसे में इम्पाला का ज्यादा किफायती इंजन काफी काम आ रहा था. हालांकि, इस इंजन को बनाने के कारण इम्पाला को अपनी कार परफॉरमेंस थोड़ी गिरानी पड़ी थी.

माना जाता है कि आगे चलकर यही इम्पाला के बंद होने का कारण भी बना. वक्त के साथ मार्किट में नई-नई गाडियाँ आ रही थीं, जो परफॉरमेंस के मामले में इम्पाला से काफी बेहतर साबित हो रही थीं.

अपने नाम के कारण आने वाले कुछ सालों तक तो इम्पाला ने कई कार्स बेचीं मगर धीरे-धीरे इसकी सेल कम होने लगी.

लोग इम्पाला की जगह दूसरी गाड़ियों को चुनने लगे थे. गुज़रते वक्त के साथ शेवरले को इम्पाला बेचने में भी बहुत दिक्कत होने लगी थी. 1985 आने तक, तो इसकी सेल इतनी कम हो गई थी कि कंपनी ने इसका प्रोडक्शन ही बंद करने की ठान ली.

इसके साथ ही 1985 में आखिर बार इम्पाला बनाने की घोषणा की गई और इसकी प्रोडक्शन रोक दी गई.

वक्त के साथ नहीं चलने के कारण इम्पाला का बना बनाया साम्राज्य चुटकियों में नीचे गिर गया था.

फिर से उगा इम्पाला का डूबता सूरज…

1985 में इम्पाला ने अपना प्रोडक्शन बंद कर दिया था मगर शेवरले इसके नाम को इतनी आसानी से नहीं डूबने देना चाहता था. इसका प्रोडक्शन जरूर बंद कर दिया गया था मगर इम्पाला अभी भी जिंदा थी.

कंपनी इसे पहले से बढ़िया और नए जमाने के हिसाब से बनाने लगी. इस काम को करने में काफी वक्त लग गया. जैसे ही नई इम्पाला बनाकर तैयार हुई 1994 में इसे लांच कर दिया गया.

इसकी सेल पहले जैसी तो नहीं हुई मगर इतने सालों के बाद वापस आने पर वह बुरी सेल नहीं थी. लोग इम्पाला को भूले नहीं थे और जैसे ही इसका नया मॉडल आया इसे लोगों ने अपनाना शुरू किया.

इसके बाद इम्पाला ने समय-समय पर अपने अपडेटेड मॉडल निकालने शुरू किया. वह नहीं चाहते थे कि फिर से उनकी ये क्लासिक कार बंद हो जाए.

अमेरिका जैसे देशों में इम्पाला आज भी चल रही है. लोग इसके नए मॉडल को दिल से अपना रहे हैं. हालांकि, भारत की बात की जाए, तो यहाँ पर लोग अभी भी पुरानी क्लासिक इम्पाला को ही पसंद करते हैं.

इतने सालों के दरमियाँ भी इम्पाला ने अपना नाम नहीं खोया. बीच में कुछ परेशानियां जरूर आई थीं मगर उनसे आगे निकलकर कंपनी ने फिर से खुद को खड़ा किया. यही कारण है कि आज भी इम्पाला का वजूद है.

देखे विडियो :

नोट – प्रत्येक फोटो प्रतीकात्मक है (फोटो स्रोत: गूगल)

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. timepass अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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